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प्रसूताओं में न होने पाए खून की कमी : मुख्य चिकित्सा अधिकारी


कोई भी समस्या आने पर तत्काल फोन पर दें जानकारी

लेबर रूम में सफाई व नियमित ड्रेस में रहें नर्स

नर्स मेंटर की बैठक में सीएमओ ने दिए निर्देश

महोबा, 07 दिसंबर 2020।

मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए आने वाली गर्भवती को बताया जाए कि इस दौरान शरीर में खून की कमी न होने पाए, इसके लिए उन्हें नियमित रूप से आयरन व कैल्शियम की गोलियां दी जाएँ । प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों से अपेक्षित सहयोग न मिलने पर उन्हें (सीएमओ) फोन पर अवगत कराएं। यह बातें नर्स मेंटर की बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एमके सिन्हा ने कहीं।

डॉ. सिन्हा ने कहा कि प्रसव के बाद 20 मिनट तक प्रसूता व नवजात की सेहत का ख्याल रखना अहम होता है। गर्भवती व धात्री महिलाओं सहित नवजात की विशेष देखभाल करें। प्रसव के बाद 48 घंटे तक किसी भी गर्भवती को डिस्चार्ज न करें। मां को नवजात की सुरक्षा के बारे में बताएं। सीएमओ ने कहा कि नर्स निर्धारित ड्रेस में रहें। लेबर रूम में सफाई का विशेष ध्यान रखें। अस्पताल में ही प्रसव कराने के लिए गर्भवती व उसके परिजनों को प्रेरित किया जाए। जन्म के बाद नवजात को तुरंत न नहलाएं। शरीर पोछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध पिलाना आरंभ कर दें।

उन्होंने कहा कि शिशु को जन्म के छह माह तक केवल स्तनपान कराने के लिए मां को प्रेरित करें। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें तथा नियमित टीकाकरण कराएं। कम वजन एवं समय से पूर्व जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखें। कोई भी समस्या आने पर तुरंत चिकित्सा प्रभारी को अवगत कराएं। अगर चिकित्सा प्रभारी कोई ध्यान नहीं देते हैं तो उन्हें फोन पर सूचित करें। उन्होंने निर्देश दिया कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए ।


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धात्री महिलाओं व परिजनों को करें जागरूक

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि नवजात में तीन प्रकार का संक्रमण होता है। नाल से होने वाले संक्रमण से बचाव के लिए नाल पर जल्दी सुखाने के लिए उस पर कुछ भी नहीं लगाना चाहिए। नवजात को मुंह के संक्रमण से बचाने के लिए केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए। त्वचा के संक्रमण से बचाने के लिए शिशु को जन्म के तत्काल बाद नहलाना नहीं चाहिए।

 
 
 

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