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पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्ज़ा, योगी सरकार में बुज़ुर्ग किसान को न्याय नहीं



लखनऊ में बुज़ुर्ग किसान के घर पर क़हर बरपा — बेटियों के कपड़े फाड़े, बहू से की दरिंदगी — पुलिस ने FIR तक लिखने से इनकार किया!


केपीपीएन संवाददाता


लखनऊ के जानकीपुरम में बीते 28 मई 2025 ग्राम सैदपुर जागीर, थाना जानकीपुरम के निवासी बुज़ुर्ग किसान बराती पुत्र स्व. भगवानदीन की पुश्तैनी ज़मीन पर दबंगों द्वारा जबरन कब्ज़ा कर लिया गया। पीड़ित बराती ने वर्ष 2004 में अपनी भूमि का एक हिस्सा सीमित रकबे में डॉ. सलामत ख़ाँ एवं उनकी पत्नी वाहिदा के साथ एग्रीमेंट किया था। शेष भूमि उन्होंने अपने उपयोग के लिए सुरक्षित रखी थी। आरोप है कि विपक्षियों ने धोखाधड़ी व षड्यंत्र करके पूरे भूखण्ड का बैनामा अपने पक्ष में करा लिया।


बराती द्वारा धोखाधड़ी के इस मामले में दिनांक 15.05.2012 को सिविल न्यायालय में वाद दायर किया गया है, जिसकी सुनवाई 11 जुलाई 2025 को नियत है। जबकि विपक्षियों ने भी स्थायी निषेधाज्ञा हेतु वाद दाखिल कर रखा है।


**न्यायिक प्रक्रिया के बीच भी भूमि का अवैध विक्रय**


न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के बावजूद विपक्षीगणों ने उक्त भूमि को दिनांक 27.02.2025 को अनिकेत रुहेला एवं शारदा शंकर रस्तोगी नामक भूमाफियाओं को बेच दिया। दिनांक 28 मई को करीब 200 लोगों की भीड़ बुलाकर उक्त भूमि पर जबरन निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।


**महिलाओं से अभद्रता, परिवार पर हमला**


जब पीड़ित परिवार ने विरोध किया तो उपद्रवियों ने बराती के परिवार पर हमला कर दिया। महिलाओं के कपड़े फाड़े गए, 15 व 18 वर्ष की बच्चियों के साथ अश्लील हरकतें की गईं। बहू नीलम, पोतियाँ मानसी व सीमा सहित कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। हमलावर लाठी-डंडों व असलहों से लैस थे। जान से मारने की धमकी भी दी गई।


**पुलिस ने नहीं की कोई मदद**


घटना के तुरंत बाद बराती थाने पहुंचे, परंतु जानकीपुरम पुलिस द्वारा उन्हें सहायता देने से मना कर दिया गया और थाने से भगा दिया गया। इस संबंध में शिकायत संख्या **40015725050065** दिनांक 01 जून 2025 को ऑनलाइन दर्ज की गई है, परन्तु अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।


**भूमाफिया बेखौफ, बुज़ुर्ग किसान न्याय को तरस रहा**


बराती एक वृद्ध, अशिक्षित किसान हैं जिनकी पुश्तैनी भूमि ही उनके परिवार का एकमात्र सहारा है। न्यायालय में मामला विचाराधीन होते हुए भी जबरन कब्ज़ा, विक्रय, व परिवार पर हमला जैसे गंभीर मामले पुलिस की उदासीनता की भेंट चढ़ते दिखाई दे रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागेगा और पीड़ित को न्याय मिलेगा या नहीं।



जिस ज़मीं को सींचा खून से, वो अब लूट ली गुंडों ने,

इज़्ज़त लुटी दरिंदों से, और पुलिस थी नींदों में।

रोया किसान बर्बादी पर, चीखी बहू-बेटियाँ,

पर इंसाफ़ की चौखट भी, लगती अब तो गूंगों में."

 
 
 

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