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फर्जी गैंगरेप केस में महिला को 7 साल 6 महीने की सजा

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ईमानदार जांच से सच्चाई लाईं सीओ नवीना शुक्ला


केपीपीएन विशेष संवाददाता।


लखनऊ, बक्शी का तालाब।

एक फर्जी गैंगरेप केस में विशेष एससी/एसटी कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने न केवल झूठ को सज़ा दी, बल्कि ईमानदार जांच अधिकारियों की कार्यशैली को भी सलामी दी है। सीओ नवीना शुक्ला की निष्पक्ष जांच ने यह साबित कर दिया कि सत्य चाहे जितना भी छिपाने की कोशिश की जाए, वह सामने आकर ही रहता है।


महिला को 7 साल 6 महीने की सश्रम कैद


4 अक्टूबर 2022 को एक महिला द्वारा दर्ज कराए गए कथित सामूहिक दुष्कर्म केस में कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि मामला पूरी तरह से झूठा, पूर्व नियोजित और न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग था। अदालत ने महिला को 7 वर्ष 6 माह की सश्रम कैद की सजा सुनाई।


सीओ नवीना शुक्ला की जांच बनी मिसाल


जांच अधिकारी सीओ नवीना शुक्ला ने इस संवेदनशील मामले की तह में जाकर तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों के आधार पर जांच की। उन्होंने निडर होकर सच सामने लाया और न्याय के लिए एक प्रेरक उदाहरण पेश किया।


कोर्ट ने अपने आदेश में कहा—


> “ऐसे अफसर ही न्याय व्यवस्था की रीढ़ हैं, जो दबाव में आए बिना सच्चाई की राह पकड़ते हैं।”


जनता का भरोसा मजबूत


स्थानीय नागरिकों ने भी सीओ नवीना शुक्ला के साहस और ईमानदारी की खुले दिल से प्रशंसा की है। क्षेत्रीय निवासी रामदयाल वर्मा का कहना है, “जब अफसर सही तरीके से काम करते हैं, तब कानून पर जनता का भरोसा मजबूत होता है।”


सामाजिक संदेश—न्याय और संतुलन


यह मामला सिर्फ एक कानूनी निर्णय नहीं है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। जहां एक ओर महिलाओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, वहीं झूठे आरोप लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई का यह फैसला एक दिशा तय करता है।

 
 
 

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