बार काउंसिल चुनावों को ले कर हाईकोर्ट सख्त, अधिवक्ता अभय अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई
- Kumar Nandan Pathak
- 5 अग॰
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लखनऊ, 05 अगस्त 2025
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में हो रही अनियमितताओं, चुनावों में हो रही देरी और प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर अधिवक्ता अभय अग्रवाल द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल की गई जनहित याचिका पर कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मा. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनीष कुमार और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि "जब तक COP (Certificate of Practice) का सत्यापन पूरी तरह से नहीं हो जाता, तब तक चुनाव संबंधी किसी भी प्रकार का निर्देश जारी न किया जाए।"
क्या है मामला?
अधिवक्ता अभय अग्रवाल ने याचिका में यह आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की वर्तमान कार्यकारिणी नियत समय पर चुनाव न करा कर जानबूझकर सत्ता में बनी रहने की रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्षों से चुनाव नहीं हुए हैं और न ही COP सत्यापन की प्रक्रिया को पारदर्शिता से पूर्ण किया गया है।
उनके अनुसार, बार काउंसिल द्वारा COP का सत्यापन अधूरा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संस्था जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को लटकाए रखना चाहती है, ताकि वर्तमान पदाधिकारी पद पर बने रहें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूरे सिस्टम में व्यापक स्तर पर घपलेबाजी और पक्षपात किया जा रहा है।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि बार काउंसिल जैसी संवैधानिक संस्था को अपनी वैधता और पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। कोर्ट ने बार काउंसिल को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जब तक सभी अधिवक्ताओं के COP दस्तावेजों का पूर्ण सत्यापन नहीं हो जाता, तब तक कोई भी चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जाए, और न ही चुनाव की कोई अधिसूचना जारी की जाए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बार काउंसिल अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाने में विफल रहती है, तो न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ेगा।
बार काउंसिल की चुप्पी
इस पूरे मामले में अब तक उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि यह मामला अब सार्वजनिक विमर्श का विषय बन गया है और राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशन में भी इस मुद्दे को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है।
क्या है आगे की राह?
फिलहाल कोर्ट के निर्देश के बाद यह तय हो गया है कि जब तक COP सत्यापन पूरी तरह से पारदर्शी और पूर्ण न हो जाए, तब तक उत्तर प्रदेश बार काउंसिल चुनाव नहीं करा सकेगी।अधिवक्ता अभय अग्रवाल की इस पहल को कई वकीलों का समर्थन मिल रहा है, जो वर्षों से चुनाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं और पारदर्शी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।








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